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अवधेस के द्वारे सकारें गइ सुत गोद कै भूपति लै निकसे। Read More
आजु गई हुती भोरही हौं रसखानि रई कहि नन्द के भौंनहिं। Read More
कबहुँ सुधि करत गोपाल हमारी।पूछत नंद पिता…
कबहूँ ससि मागत आरि करैं कबहूँ प्रतिबिंब निहारि…
कहियो नंद कठोर भए।हम दोउ बीरैं डारि परघरै…
तन की दुति स्याम सरोरुह लोचन कंज की मंजुलताई हरैं। Read More
धूर भरे अति शोभित स्याम जू तैसी बनी सिर सुन्दर…
नीके रहियो जसुमति मैया।आवैंगे दिन चारि पाँच…
पग नूपुर औ पहुँची करकंजनि मंजु बनी मनिमाल हिएँ। Read More
पथिक ! सँदेसो कहियो जाय।आवैंगे हम दोनों भैया,…
पदकंजनि मंजु बनीं पनहीं धनुहीं सर पंकज-पानि लिएँ। Read More
बर दंतकी पंगति कुंदकली अधराधर-पल्लव खोलन की। Read More
सरजू बर तीरहिं तीर फिरैं रघुबीर सखा अरु बीर सबै। Read More