काव्यांश (विषय - वात्सल्य भक्ति)

अवधेस के द्वारे सकारें गइ

अवधेस के द्वारे सकारें गइ सुत गोद कै भूपति लै निकसे। Read More

आजु गई हुती भोरही हौं

आजु गई हुती भोरही हौं रसखानि रई कहि नन्द के भौंनहिं। Read More

कबहुँ सुधि करत गोपाल हमारी

कबहुँ सुधि करत गोपाल हमारी।
पूछत नंद पिता…

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कबहूँ ससि मागत आरि करैं

कबहूँ ससि मागत आरि करैं कबहूँ प्रतिबिंब निहारि…

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कहियो नंद कठोर भए

कहियो नंद कठोर भए।
हम दोउ बीरैं डारि परघरै…

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तन की दुति स्याम सरोरुह

तन की दुति स्याम सरोरुह लोचन कंज की मंजुलताई हरैं। Read More

धूर भरे अति शोभित स्याम जू

धूर भरे अति शोभित स्याम जू तैसी बनी सिर सुन्दर…

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नीके रहियो जसुमति मैया

नीके रहियो जसुमति मैया।
आवैंगे दिन चारि पाँच…

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पग नूपुर औ पहुँची करकंजनि

पग नूपुर औ पहुँची करकंजनि मंजु बनी मनिमाल हिएँ। Read More

पथिक ! सँदेसो कहियो जाय

पथिक ! सँदेसो कहियो जाय।
आवैंगे हम दोनों भैया,…

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पदकंजनि मंजु बनीं पनहीं

पदकंजनि मंजु बनीं पनहीं धनुहीं सर पंकज-पानि लिएँ। Read More

बर दंतकी पंगति कुंदकली

बर दंतकी पंगति कुंदकली अधराधर-पल्लव खोलन की। Read More

सरजू बर तीरहिं तीर फिरैं रघुबीर

सरजू बर तीरहिं तीर फिरैं रघुबीर सखा अरु बीर सबै। Read More