काव्यांश (विषय - मानवीय प्रवृत्ति)

गिराया है जमीं होकर...

गिराया है जमीं होकर, छुटाया आसमाँ होकर।
निकाला,…

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पाटल-माल

पुण्य की है जिसको पहचान,
उसे ही पापों का अनुमान, Read More

बदली जो उनकी आँखें...

बदली जो उनकी आँखें, इरादा बदल गया।
गुल जैसे…

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