काव्यांश (विषय - आर्थिक समानता)

चर्खा चला

वेदों का चर्खा चला,
सदियाँ गुजरीं।
लोग-बाग…

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भेद कुल खुल जाय वह

भेद कुल खुल जाय वह सूरत हमारे दिल में है।
देश…

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