काव्यांश (रचनाशैली - गीत )

एक यही अरमान गीत बन, प्रिय, तुमको अर्पित हो जाऊँ

एक यही अरमान गीत बन, प्रिय, तुमको अर्पित हो जाऊँ। Read More

कुछ साहस दो तो बात कहूँ मैं मन की

कुछ साहस दो तो बात कहूँ मैं मन की।
देख तुम्हें…

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जीवन-तरुवर

भावुकता की हरियाली में
     …

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दलित जन पर करो करुणा

दलित जन पर करो करुणा।
दीनता पर उतर आये Read More

दे मन का उपहार सभी को

दे मन का उपहार सभी को, ले चल मन का भार अकेले। Read More

ध्वनि

अभी न होगा मेरा अन्त।
अभी-अभी ही तो आया है Read More

पाटल-माल

पुण्य की है जिसको पहचान,
उसे ही पापों का अनुमान, Read More

पुष्प-गुच्छ-माला दी सबने, तुमने अपने अश्रु छिपाए

पुष्प-गुच्छ-माला दी सबने, तुमने अपने अश्रु छिपाए। Read More

बहुत दिये हैं, किस किस पर तू वारेगा पर

बहुत दिये हैं, किस किस पर तू वारेगा पर, हे परवाने। Read More

बाहर मैं कर दिया गया हूँ

बाहर मैं कर दिया गया हूँ। भीतर, पर, भर दिया गया…

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बीती विभावरी जाग री

बीती विभावरी जाग री !
     अम्बर…

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मेरी तो हर साँस मुखर है, प्रिय, तेरे सब मौन सँदेसे

मेरी तो हर साँस मुखर है, प्रिय, तेरे सब मौन सँदेसे। Read More

वीणावादिनी

तव भक्त भ्रमरों को हृदय में लिये वह शतदल विमल Read More

सन्तप्त

अपने अतीत का ध्यान
करता मैं गाता था गाने भूले…

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