काव्यांश (पुस्तक - नये पत्ते)

चर्खा चला

वेदों का चर्खा चला,
सदियाँ गुजरीं।
लोग-बाग…

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दगा की

चेहरा पीला पड़ा।
रीढ़ झुकी। हाथ जोड़े।
आँख…

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राजे ने अपनी रखवाली की

राजे ने अपनी रखवाली की;
किला बनाकर रहा; Read More