काव्यांश (पुस्तक - बेला)

काले-काले बादल छाये....

काले-काले बादल छाये, न आये वीर जवाहरलाल,
कैसे-कैसे…

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किनारा वह हमसे ....

किनारा वह हमसे किये जा रहे हैं।
दिखाने को…

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गिराया है जमीं होकर...

गिराया है जमीं होकर, छुटाया आसमाँ होकर।
निकाला,…

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बदली जो उनकी आँखें...

बदली जो उनकी आँखें, इरादा बदल गया।
गुल जैसे…

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बाहर मैं कर दिया गया हूँ

बाहर मैं कर दिया गया हूँ। भीतर, पर, भर दिया गया…

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भेद कुल खुल जाय वह

भेद कुल खुल जाय वह सूरत हमारे दिल में है।
देश…

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