काव्यांश (पुस्तक - प्रेमवाटिका)

 प्रेम-प्रेम सोउ कहत, प्रेम न जानत कोय

1.    प्रेम अयनि श्रीराधिका, प्रेम-बरन…

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 राधामाधव सखिन संग, बिहरत कुंज कुटीर

1.    जो जातें जामें बहुरि जा हित…

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अति सूछम कोमल अतिहि, अति पतरो अति दूर

1.    अति सूछम कोमल अतिहि, अति पतरो…

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जातें उपजत प्रेम सोइ, बीज कहावत प्रेम

1.    स्वारथमूल अशुद्ध त्यों, शुद्ध…

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हरि के सब आधीन, पै हरी प्रेम-आधीन

1.    हरि के सब आधीन, पै हरी प्रेम-आधीन। Read More