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लज्जा सर्ग-
इस अर्पण में कुछ…
चिंता सर्ग-
उनको देख कौन रोया…
आशा सर्ग-
उषा सुनहले तीर बरसती…
उसी तपस्वी से लम्बे,…
ओ जीवन की मरु मरीचिका,…
श्रद्धा सर्ग-
और देखा वह सुन्दर…
“और यह क्या…
इड़ा सर्ग-
देखे मैंने वे…
प्राची में फैला मधुर रागजिसके…
बिखरी अलकें ज्यों…
’भरा था…
…
कर्म सर्ग-
यज्ञ समाप्त हो चुका…
कामायनी-लज्जा सर्ग-
यह आज समझ…
यों सोच रहे…
वह प्रेम न रह जाये…