काव्यांश (पुस्तक - साये में धूप)

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है

इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,
नाव…

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कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए

कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए,
कहाँ…

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कैसे मंजर सामने आने लगे हैं

कैसे मंजर सामने आने लगे हैं,
गाते-गाते लोग…

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बाढ़ की सम्भावनाएँ सामने हैं

बाढ़ की सम्भावनाएँ सामने हैं,
और नदियों के…

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भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ

भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ,
आजकल…

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मत कहो, आकाश में कुहरा घना है

मत कहो, आकाश में कुहरा घना है,
यह किसी की…

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ये रोशनी है हकीकत में एक छल लोगो

ये रोशनी है हकीकत में एक छल लोगो,
कि जैसे…

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ये सारा जिस्म झुककर बोझ से दुहरा हुआ होगा

ये सारा जिस्म झुककर बोझ से दुहरा हुआ होगा,
मैं…

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रोज जब रात को बारह का गजर होता है

रोज जब रात को बारह का गजर होता है,
यातनाओं…

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वो निगाहें सलीब हैं

वो निगाहें सलीब हैं,
हम बहुत बदनसीब हैं।

 

आइए…

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हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए

हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,
इस हिमालय…

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