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इस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,नाव…
कहाँ तो तय था चिरागाँ हरेक घर के लिए,कहाँ…
कैसे मंजर सामने आने लगे हैं,गाते-गाते लोग…
बाढ़ की सम्भावनाएँ सामने हैं,और नदियों के…
भूख है तो सब्र कर, रोटी नहीं तो क्या हुआ,आजकल…
मत कहो, आकाश में कुहरा घना है,यह किसी की…
ये रोशनी है हकीकत में एक छल लोगो,कि जैसे…
ये सारा जिस्म झुककर बोझ से दुहरा हुआ होगा,मैं…
रोज जब रात को बारह का गजर होता है,यातनाओं…
वो निगाहें सलीब हैं,हम बहुत बदनसीब हैं।
आइए…
हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए,इस हिमालय…