काव्यांश (पुस्तक - कबीर ग्रंथावली)

अब तोहि जान न देहुँ राम पियारे

अब तोहि जान न देहुँ राम पियारे ज्यूँ भावै त्यूँ…

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अब मैं पाइबो रे पाइबो ब्रह्म गियान

अब मैं पाइबो रे पाइबो ब्रह्म गियान।
सहज समाधें…

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अब मोहि ले चल नणद के बीर अपने देसा

अब मोहि ले चल नणद के बीर अपने देसा।
इन पंचनि…

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अवधू ग्यान लहरि धुनि मीडि रे

अवधू ग्यान लहरि धुनि मीडि रे।
सबद अतीत अनाहद…

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इति तत राम जपहु रे प्राँनी

इति तत राम जपहु रे प्राँनी बुझौ अकथ कहाँणी। Read More

एक अचंभा देखा रे भाई ठाढ़ा सिंह चरावै गाई

एक अचंभा देखा रे भाई ठाढ़ा सिंह चरावै गाई।
पहले…

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एक अचंभा देखिया बिटिया जायौ बाप

चरखा जिनि जरे। कतौंगी हजरी का सूत नण्नद के भइया…

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गोकुल नाइक बीठुला मेरौ मन लागौ

गोकुल नाइक बीठुला मेरौ मन लागौ तोहि रे।
बहुतक…

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जम थैं उलटि भये हैं राम

अब हम सकल कुसल करि माँनाँ स्वाति भई तब गोबिंद जाँनाँ। Read More

दुलहनी गावहु मंगलचार

दुलहनी गावहु मंगलचार।
हम घरि आए हो राजा राम…

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नरहरि सहजै ही जिनि जाना

नरहरि सहजै ही जिनि जाना।
गत फल फूल तत तर पल्लव…

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बहुत दिनन थैं मैं प्रीतम पाये

बहुत दिनन थैं मैं प्रीतम पाये भाग बड़े घरि बैठे…

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मन के मोहन बिठुला

मन के मोहन बिठुला यह मन लागौ तोहि रे।
चरन…

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मन रे मन ही उलटि समाँना

मन रे मन ही उलटि समाँना।
गुर प्रसादि अकलि…

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मैं बुनि करि सियाँनाँ हो राम नालि करम नहिं ऊबरे

मैं बुनि करि सियाँनाँ हो राम नालि करम नहिं ऊबरे। Read More

संतो भाई आई ग्यान की आँधी रे

संतो भाई आई ग्यान की आँधी रे।
भ्रम की टाटी…

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हरि के षारे बड़े पकाये जिनि जारे तिनि पाये

हरि के षारे बड़े पकाये जिनि जारे तिनि पाये।
ग्यान…

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