गद्यांश (विषय - धर्म और धर्म-रक्षा)
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अमृत के पुत्रों, मृत्यु का भय माया है
अमृत के पुत्रों, मृत्यु का भय माया है, राजा से भय दुर्बल चित्त का विकल्प है। ........ अमृत के पुत्रों,…
Read Moreएक महाश्वेता रात्रि
यह पीपल दार्शनिकों का भी वृक्ष है। भारतीयों के मन पर यह आर्यों के आगमन के पूर्व से ही हावी है। मोहनजोदड़ो-हड़प्पा…
Read Moreजितने बँधे-बँधाये नियम और आचार हैं उनमें धर्म अँटता नहीं
मैं आज स्पष्ट देख रहा हूँ कि जितने बँधे-बँधाये नियम और आचार हैं उनमें धर्म अँटता नहीं। वह नियमों…
Read Moreवैष्णव की फिसलन
वैष्णव करोड़पति है। भगवान विष्णु का मंदिर। जायदाद लगी है। भगवान सूदखोरी करते हैं। ब्याज से कर्ज देते…
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