गद्यांश (विषय - दार्शनिकता)
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जन्मान्तर के धूम्र-सोपान
’’यह रात है कि अफीम है !’’ कहकर नरेस मिस्त्री रोज सोने के पूर्व करवट बदला…
Read Moreजन्मान्तर के धूम्र-सोपान
सृष्टि का आदिम गर्भाधान क्षण भी घोर तुषाराच्छादित अखण्ड रात्रि का क्षण था-एक बिन्दु पर आकर देश-काल…
Read Moreदर्पण-विश्वासी
दार्शनिकों ने माया-दर्पण का बखान किया है, सन्तों ने ’हिरदय-दरपन’ को धो-पोंछकर निर्मल-प्रसन्न…
Read Moreपश्य देवस्य काव्यम्
तम या कालिमा आदिम रंग है। इसका आदिम वर्ण है सर्वग्रासी। यहाँ तक कि अन्धकार का भी भक्षण कर जाने वाली…
Read Moreपुरुष निःसंग है, स्त्री आसक्त
“देख बाबा, तू व्यर्थ की बहस करने जा रहा है। बाबा ने जो कुछ कहा है वह पुरुष का सत्य है। स्त्री…
Read Moreरोहिणी-मेघ
ढूँढ़ना स्वतः एक अमृत-फल है। सारा प्यार ढूँढ़कर पाने में ही है। बिना ढूँढ़ने का श्रम किये प्रिय वस्तु…
Read Moreसिद्धि को साधन समझना कच्चे चित्त की कच्ची कल्पना है
सिद्धि को साधन समझना कच्चे चित्त की कच्ची कल्पना है। ......... मुझे अवधूत अधोरभैरव के वाक्य याद आये,…
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