गद्यांश (पुस्तक - उत्तरकुरु)

उत्तरकुरु और कदलीवन

कोरी सौंदर्य साधना, कोरा सौंदर्यबोध निरर्थक है। इसे शील से जोड़कर ही रचनात्मक और मंगलमय बनाया जा सकता…

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चल मोरवा बारात रे

हमारे साहित्य में ’आत्मा’ का प्रतीक ’हंस’ माना गया है तो ’मन’…

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