गद्यांश (पुस्तक - प्रिया नीलकण्ठी)
>अधिकार
>अभिनय
>अभिमान
>आंदोलन
>आक्रोश
>आत्मसम्मान
>आदर्श
जहाँ कहीं भी तेज है, दृढ़ता है, अपराजित हृदय है, पवित्रता और न्याय की रक्षा के लिए बाँहें धनुष चढ़ा…
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मनुष्य के अन्दर शायद स्वर्ण का आकर्षण अधिक प्रबल है, इसी से वह सदैव “एल्डोरेडो“ की कल्पना…
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यह ‘नित्य अकेलापन‘ रचना-प्रक्रिया की अनिवार्य आवश्यकता है। सृजन के चरम क्षण के…
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भारतीय किसान के पास ’रोष’ नाम की वस्तु है ही नहीं। वह तो सनातन ’होरी’ है,…
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आज का साहित्यकार एक ही प्रतिबद्धता को श्रेय का मार्ग मानता है। पर एकहरी प्रतिबद्धता और एकहरा…
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वसन्त उल्लास की ऋतु है। वैष्णवों ने इसी उल्लास को रस की दीक्षा का माध्यम बनाया है। इसमें न तो ग्रीष्म…
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हेमन्त का सबसे बड़ा आकर्षण है पत्तियों का पीला पड़ जाना और जरा-सी हवा डोलने पर भू-पतित हो जाना।…
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