गद्यांश (पुस्तक - मराल)
>अधिकार
>अभिनय
>अभिमान
>आंदोलन
>आक्रोश
>आत्मसम्मान
>आदर्श
आज तो सिर्फ दो ही दल हैं इस देश में। एक दल में हैं ठेकेदार, व्यवसायी, अफसर, राजनीतिज्ञ तथा पत्रकार…
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सारे मानवीय रिश्ते, सारे भाव, सारी करुणा-प्रेम-सहानुभूति का कारोबार उन मूल्यों या सत्यों पर निर्भर…
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जब जन्म लिये हैं तो पगहा-खूँटा चाहे वह कितना ही सूक्ष्म हवाई क्यों न हो, चाहिए। अतः घर का महत्त्व…
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तम या कालिमा आदिम रंग है। इसका आदिम वर्ण है सर्वग्रासी। यहाँ तक कि अन्धकार का भी भक्षण कर जाने वाली…
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इस मन या हृदय का कोई ‘विज्ञान‘ नहीं हो सकता, इसका ‘काव्य‘ ही हो सकता है।
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चैत्र का वैदिक नाम मधु है और वैशाख का माधव।
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संयम जब अत्यन्त असहज और अप्राकृतिक हो जाता है तो विपरीत ध्रुव की ही जीत होती है। असहज और अप्राकृतिक…
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शुचि मास अर्थात् क्वार मास। क्वार मास संयम, कौमार्य और पवित्रता का प्रतीक है। इस मास में सूर्य कन्या…
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केवल मनुष्य के पास शब्द हैं। मात्र मनुष्य की ही सरस्वती शब्दमयी है। शब्द का स्रोत ‘प्रातिभज्ञान‘…
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यहाँ पर समझने की बात है कि जिसे सारा देश ‘पूरी‘ कहता है उसे भोजपुरी लोग ‘पूड़ी‘…
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आज किसान एक ओर सरकार और बनिये द्वारा, दूसरी ओर श्रमिक-शक्ति की राजनीति द्वारा दो पाटों में फँसकर…
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