गद्यांश (लेखक - हरिशंकर परसाई)
>अधिकार
>अभिनय
>अभिमान
>आंदोलन
>आक्रोश
>आत्मसम्मान
>आदर्श
दरारों वाली सपाट सूखी भूमि नपुंसक पति की संतानेच्छु पत्नी की तरह बेकल नंगी पड़ी है।
…
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मैं उन्हें समझा रहा था कि लड़की की शादी में टीमटाम में व्यर्थ खर्च मत करो।
पर वे…
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वैष्णव करोड़पति है। भगवान विष्णु का मंदिर। जायदाद लगी है। भगवान सूदखोरी करते हैं। ब्याज से कर्ज देते…
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