मकराकृत कुंडल गुंज की माल

पीछे

मकराकृत कुंडल गुंज की माल वे लाल लसैं पग पाँवरिया।
बछरानि चरावन के मिस भावतो दै गयो भावती भाँवरिया।
रसखानि बिलोकतही सिगरी भई बावरिया ब्रज डाँवरिया।
सजनी इहिं गोकुल मैं बिष सों बगरायो है नन्द के साँवरिया।।

पुस्तक | सुजान रसखान लेखक | रसखान भाषा | ब्रजभाषा विधा | सवैया