गोकुल को ग्वाल काल्हि चौमुँह की ग्वालिन सौं
पीछेगोकुल को ग्वाल काल्हि चौमुँह की ग्वालिन सौं
चाँचर रचाइ एक धूमहिं मचाइगो।
हियो हुलसाय रसखानि तान गाइ बाँकी
सहज सुभाइ सब गाँव ललचाइगो।
पिचका चलाइ और जुबती भिजाइ नेह
लोचन नचाइ मेरे अंगहि बचाइगो।
सासहिं नचाइ भोरी नन्दहि नचाइ खोरी
बैरिन सचाइ गोरी मोहि सकुचाइगो।।