निर्गुण नक्शे: सबुज-श्याम धरती

पीछे

मनुष्य के अन्दर शायद स्वर्ण का आकर्षण अधिक प्रबल है, इसी से वह सदैव “एल्डोरेडो“ की कल्पना में लीन रहता है। धरती सदैव हरी रहती है। जीवन सदैव प्रवहमान रहता है। पर मनुष्य इस हरीतिमा और इस प्रवाह को भूलकर उस पर अपने मन के पूर्वाग्रहों, अपने संस्कारों और बुद्धि के निर्गुण नक्शों की मुहर मारता रहता है। पर इस अतल गोताखोरी के बावजूद उपलब्धि के नाम पर सड़ी मछली हाथ लगती है।
 

पुस्तक | प्रिया नीलकण्ठी लेखक | आ0 कुबेर नाथ राय भाषा | खड़ी बोली विधा | निबन्ध
विषय | लोभ,