फुटकल पंक्तियाँ

पीछे

इस मन या हृदय का कोई ‘विज्ञान‘ नहीं हो सकता, इसका ‘काव्य‘ ही हो सकता है।
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आकाश का ध्रुव-तारा महत्त्वपूर्ण है सही परन्तु घर का दीया उससे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। सूर्य के तेज से चूल्हे की जलती आग ज्यादा अपनी है।
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’मनुस्मृति’ के विधि-निषेधों के कारण इस गाँव में कोई लड़का किसी लड़की से सार्थक प्रणय नहीं कर सकता। गाँव इसे बरदाश्त ही नहीं करेगा। हाँ, बलात्कार को हजम कर लेगा, गर्भपात कराकर जात-पाँत के विधिविधान की रक्षा कर लेगा परन्तु पवित्र राग-अनुराग-पूर्वराग के लिए यहाँ कोई भी जगह नहीं। यहाँ प्रेम असम्भव है। घृणा यहाँ के लोगों की रोटी-दाल है।
 

पुस्तक | मराल लेखक | आ0 कुबेर नाथ राय भाषा | खड़ी बोली विधा | निबन्ध