कीचड़ से कमल

पीछे

सारे मानवीय रिश्ते, सारे भाव, सारी करुणा-प्रेम-सहानुभूति का कारोबार उन मूल्यों या सत्यों पर निर्भर है जो वस्तुधर्म से मुक्त हैं--जैसे सच्चाई, ईमान, अच्छाई, वफादारी, साहस, समर्पण, त्याग, विद्रोह, सौन्दर्य-बोध, अनुराग आदि। इनमें से कोई भी वस्तु-सत्ता नहीं। ये सब भाव-सत्ताएँ(आइडिया) हैं और ये अमाप हैं, अगाध हैं, इनकी नापजोख की कोई इकाई या ‘स्केल‘ या थर्मामीटर या तराजू बटखरा नहीं। जिनकी तोल-माप नहीं हो सकती, उनके बारे में वस्तुवादी दर्शन यानी विज्ञान(साइन्स) अक्षम हो जाता है।

पुस्तक | मराल लेखक | आ0 कुबेर नाथ राय भाषा | खड़ी बोली विधा | निबन्ध